“दादी की ममता ने मुझे खुश रहना सिखाया है
दादा जी आपकी आहट ने मेरे दुखों को मिटाया है…”
कहते हैं बच्चे की सबसे पहली पाठशाला उसका घर होता हैं और उसके अध्यापक घर के बुजुर्ग. खेल-खेल में हम अपने दादा-दादी से इतना कुछ सीख लेते हैं जिसका एहसास हमें बड़े होने पर होता हैं. हम में से कई लोग ऐसे हैं जिनका उनके दादा-दादी के साथ दोस्त वाला रिश्ता होता हैं. सच में दादा-दादी के साथ रहना अपने आप में एक अनोखा एहसास हैं, वह न केवल ज्ञान के मोती बिखेरते हैं बल्कि हमारे जीवन को प्यार और खुशियों से भर देते हैं.उनकी आस पास होने की भावना को शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता.
हमेशा की भांति जनता के सुख-दुख में खड़े रहने वाले भाजपा जिला परिषद प्रतिनिधि एवं सह-संयोजक (महादलित प्रकोष्ठ) सचिन राम जी एक ऐसे नेता के तौर पर जाने जाते हैं, जो अपनी जनता को परिवार से कम नहीं मानते. आज 9 अप्रैल को सकरा प्रखण्ड के दुबहा पँचायत निवासी आदित्य रंजन जी के दादी जी के श्राद्ध कर्म में उपस्थित हो कर श्रद्धांजलि अर्पित किए . उन्होंने परिवार से मुलाकात कर दिवगंत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की और इस दुख की घड़ी में दीपक जी का हौसला बढ़ाया.
सर्वशक्तिमान ईश्वर से कामना करता हूं कि दादी जी को अपने श्री चरणों में स्थान दें!
ओम् शांति!!