काशी का इतिहास बहुत प्राचीन समय से प्रारम्भ होता है. यह संसार के सबसे प्राचीन नगरों में से एक है. यह पवित्रात्माओं का स्मृति शहर है. यही वह पुण्यस्थान है जहाँ राजा हरिश्चन्द्र अपने सत्यप्रेम के कारण अपना नाम युगयुगान्तर के लिये अमर कर गए. यहीं संत कबीर तथा गोस्वामी तुलसीदास जैसे कवियों ने अपने प्राण इसी भूमि में त्यागे थे.
काशी के प्रति गोस्वामी तुलसीदास का प्रबल अनुराग उनकी इन पंक्तियों में साफ झलकता है-
मुक्ति जन्म महि जानि ज्ञान खानि अघ हानि कर .
जहँ बस संभु भवानि, सो कासी सेइअ कस न..
काशी नगरी से आदिकाल से ही विद्या एवं धर्म का प्रचार-प्रसार होता रहा है. काशी की प्राचीनता का इतिहास वैदिक साहित्य से उपलब्ध होता है. अथर्ववेद में काशीवासियों के लिए 'काशयः' शब्द का प्रयोग मिलता है.
इन्हीं श्रद्धालुओ में से एक बिहार प्रदेश भाजपा महादलित प्रकोष्ठ के सह संयोजक सचिन राम जी ने बताया कि बनारस में स्थित बाबा काशी विश्वनाथ जी के मित्रों संग दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ.